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Health Tips

 आयुर्वेदिक दोहे

1.जहाँ कहीं भी आपको,काँटा कोइ लग जाय। दूधी पीस लगाइये, काँटा बाहर आय।।
2.मिश्री कत्था तनिक सा,चूसें मुँह में डाल। मुँह में छाले हों अगर,दूर होंय
तत्काल।।
3.पौदीना औ इलायची, लीजै दो-दो ग्राम। खायें उसे उबाल कर, उल्टी से आराम।।
4.छिलका लेंय इलायची,दो या तीन गिराम। सिर दर्द मुँह सूजना, लगा होय आराम।।
5.अण्डी पत्ता वृंत पर, चुना तनिक मिलाय। बार-बार तिल पर घिसे,तिल बाहर आ
जाय।।
6.गाजर का रस पीजिये, आवश्कतानुसार। सभी जगह उपलब्ध यह,दूर करे अतिसार।।
7.खट्टा दामिड़ रस, दही,गाजर शाक पकाय। दूर करेगा अर्श को,जो भी इसको खाय।।
8.रस अनार की कली का,नाक बूँद दो डाल। खून बहे जो नाक से, बंद होय तत्काल।।
9.भून मुनक्का शुद्ध घी,सैंधा नमक मिलाय। चक्कर आना बंद हों,जो भी इसको खाय।।
10.मूली की शाखों का रस,ले निकाल सौ ग्राम। तीन बार दिन में पियें, पथरी से
आराम।।
11.दो चम्मच रस प्याज की,मिश्री सँग पी जाय। पथरी केवल बीस दिन,में गल बाहर
जाय।।
12.आधा कप अंगूर रस, केसर जरा मिलाय। पथरी से आराम हो, रोगी प्रतिदिन खाय।।
13.सदा करेला रस पिये,सुबहा हो औ शाम। दो चम्मच की मात्रा, पथरी से आराम।।
14.एक डेढ़ अनुपात कप, पालक रस चौलाइ। चीनी सँग लें बीस दिन,पथरी दे न दिखाइ।।
15.खीरे का रस लीजिये,कुछ दिन तीस ग्राम। लगातार सेवन करें, पथरी से आराम।।
16.बैगन भुर्ता बीज बिन,पन्द्रह दिन गर खाय। गल-गल करके आपकी,पथरी बाहर आय।।
17.लेकर कुलथी दाल को,पतली मगर बनाय। इसको नियमित खाय तो,पथरी बाहर आय।।
18.दामिड़(अनार) छिलका सुखाकर,पीसे चूर बनाय। सुबह-शाम जल डाल कम, पी मुँह
बदबू जाय।।
19. चूना घी और शहद को, ले सम भाग मिलाय। बिच्छू को विष दूर हो, इसको यदि
लगाय।।
20. गरम नीर को कीजिये, उसमें शहद मिलाय। तीन बार दिन लीजिये, तो जुकाम मिट
जाय।।
21. अदरक रस मधु(शहद) भाग सम, करें अगर उपयोग। दूर आपसे होयगा, कफ औ खाँसी
रोग।।
22. ताजे तुलसी-पत्र का, पीजे रस दस ग्राम। पेट दर्द से पायँगे, कुछ पल का
आराम।।
23.बहुत सहज उपचार है, यदि आग जल जाय। मींगी पीस कपास की, फौरन जले लगाय।।
24.रुई जलाकर भस्म कर, वहाँ करें भुरकाव। जल्दी ही आराम हो, होय जहाँ पर घाव।।
25.नीम-पत्र के चूर्ण मैं, अजवायन इक ग्राम। गुण संग पीजै पेट के, कीड़ों से
आराम।।
26.दो-दो चम्मच शहद औ, रस ले नीम का पात। रोग पीलिया दूर हो, उठे पिये जो
प्रात।।
27.मिश्री के संग पीजिये, रस ये पत्ते नीम। पेंचिश के ये रोग में, काम न कोई
हकीम।।
28.हरड बहेडा आँवला चौथी नीम गिलोय, पंचम जीरा डालकर सुमिरन काया होय॥
29.सावन में गुड खावै, सो मौहर बराबर पावै॥
Published On : 14-Sep-2014

 रक्तचाप (High Blood Pressure)

परिचय:-

हृदय के द्वारा रक्त को धमनियों में आगे बढ़ाने की क्रिया को रक्तचाप, खून का दबाव या ब्लडप्रेशर कहते हैं। यह क्रिया अगर रुक जाये तो मनुष्य का हृदय कार्य करना बंद कर देता है और उसकी मृत्यु हो जाती है ।

जब रक्त-नलिकाओं के छिद्र संकरे हो जाते हैं तो हृदय को अधिक दबाव डालकर उन पतले छिद्र वाली तंग रक्त नलिकाओं से रक्त को आगे बढ़ाने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है जिसके कारण वे नसें कमजोर हो जाती हैं और उच्च रक्तचाप या हाई ब्लडप्रेशर का रोग हो जाता है।

उच्च रक्तचाप रोग होने के लक्षण:-

जब किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप का रोग हो जाता है तो चलते समय उस व्यक्ति के सिर व गर्दन के पीछे दर्द होने लगता है। रोगी में बेचैनी, मानसिक असंतुलन, सिर में दर्द, क्रोध, घबराहट, छाती में दर्द, चिड़चिड़ापन, किसी बात पर जल्दी उत्तेजित हो जाना, चेहरे पर तनाव होना आदि समस्याएं हो जाती हैं। यह रोग हो जाने के कारण रोगी का पाचनतन्त्र खराब हो जाता है जिसके कारण उसके द्वारा खाया हुआ खाना ठीक से पचता नहीं है। इसके अलावा रोगी की आंखे लाल हो जाती हैं, हृदय की धड़कन बढ़ जाती है, रोगी को अनिद्रा रोग हो जाता है तथा उसकी नाक से खून निकलने लगता है। रोगी व्यक्ति का रक्तचाप सामान्य से अधिक हो जाता है।

उच्च रक्तचाप रोग होने का कारण:-

कब्ज, अपच, मानसिक रोग, मधुमेह, पुराना आंव तथा मूत्र से सम्बन्धित रोग और गुर्दे का रोग हो जाने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।चिंता, क्रोध, भय, असंयम तथा अपर्याप्त व्यायाम के कारण भी यह रोग हो सकता है।धूम्रपान करने या नशीले पदार्थों का अधिक सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।मसाले, तेल, खटाई, तली-भुनी चीजें प्रोटीन, रबडी, मलाई, दाल, चाय, कॉफी आदि का सेवन करने के कारण भी उच्च रक्तचाप का रोग हो सकता है।जल्दी-जल्दी खाना खाने तथा जरूरत से अधिक खाना खाने के कारण भी यह रोग हो सकता है।गर्भावस्था में टोक्सिमिया रोग हो जाने के कारण भी रक्तचाप बढ़ जाता है।

उच्च रक्तचाप रोग हो जाने पर आयुर्वेदिक चिकित्सा से उपचार:-

उच्च रक्तचाप के रोग का उपचार करने के लिए रोगी व्यक्ति को कुछ दिनों तक फलों का रस (गाजर का रस, केले के तने का रस, चुकन्दर का रस, बथुए का रस, धनिया-पालक का रस, खीरे का रस, नारियल पानी, नींबू का रस पानी में डालकर, घिये का रस तथा गेहूं के ज्वारे का रस) पीना चाहिए।

इसके अलावा कुछ समय तक बिना पका हुआ भोजन करने से भी यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को चोकर समेत आटे की रोटी तथा सब्जियां खानी चाहिए।

तुलसी के पत्ते को कालीमिर्च के साथ प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

प्रतिदिन सुबह के समय में खाली पेट तुलसी के पत्ते को शहद के साथ सेवन करने से भी उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

प्रतिदिन सुबह के समय नींबू का रस तथा 1 चम्मच शहद पानी में मिलाकर पीना बहुत ही लाभकारी होता है जिसके फलस्वरूप उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

रात को सोते समय तांबे के बर्तन में पानी रख दें। सुबह के समय में इस पानी को पीने से रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

ताजे आंवले का रस 2 चम्मच प्रतिदिन सुबह तथा शाम को पीने से यह रोग कुछ ही दिनों में ठीक हो जाता है।

3 भाग गाजर के रस में 1 भाग पालक का रस मिलाकर प्रतिदिन पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

5-6 बूंद लहसुन का रस पानी में मिलाकर दिन में 4 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

मुनक्का या शहद के साथ कच्चा लहसुन प्रतिदिन खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को घी, नमक, मिर्च-मसाला, अचार तथा मिठाई नहीं खाने चाहिए।

इस रोग से पीड़ित रोगी को प्रतिदिन फलों का रस पीकर 1 सप्ताह तक उपवास रखने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

रोगी व्यक्ति को उन चीजों का अधिक सेवन करना चाहिए जिनमें विटामिन `सी´ तथा पोटाशियम की मात्रा अधिक हो।

रोगी के हृदय पर अधिक मालिश करनी चाहिए तथा रोगी व्यक्ति के मानसिक तनावों को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

बेलपत्र का काढ़ा बनाकर दिन में 3 बार पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

प्रतिदिन 2 संतरे छीलकर खाने तथा फलों में अमरूद, नाशपाती, सेब, आम, जामुन, अनन्नास, खरबूजा, खजूर तथा रसभरी खाने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

गाय या बकरी के दूध जिसमें मलाई न हो, को पीने से उच्च रक्तचाप सामान्य हो जाता है।

इस रोग से पीड़ित रोगी को कम से कम 7-8 घण्टे की नींद लेनी चाहिए।
ब्लडप्रेशर के लिए आयुर्वेद आहार

उच्च रक्तचाप के रोगी को ज्यादा मात्रा में भोजन नहीं करना चाहिए, साथ ही गरिष्ठ भोजन से भी परहेज करना चाहिए।

भोजन में फलों और सब्जियों के सेवन ज्यादा करना चाहिए।

लहसुन, प्याज, साबुत अन्न का सेवन करना चाहिए 


Published On : 24-Jun-2015

 Gallbladder ( पित्त की थेली) की पत्थरी निकालने का प्राकृतिक उपचार:-

आयुर्वेद किसी का विरोध नहीं करता।

Gallbladder ( पित्त की थेली) की पत्थरी निकालने का प्राकृतिक उपचार:-

आज बहुत से लोग इस से परेशान हैं, और डॉक्टर भी इस के आगे फेल हैं। 
कृपया शेयर करते रहिये।
पहले 5 दिन रोजाना 4 ग्लास एप्पल जूस (डिब्बे वाला नहीं) और 4 या 5 सेव खायें .....
छटे दिन डिनर नां लें ....
इस छटे दिन शाम 6 बजे एक चम्मच ''सेधा नमक'' ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें ...
शाम 8 बजे फिर एक बार एक चम्मच '' सेंधा नमक '' ( मैग्नेश्यिम सल्फेट ) 1 ग्लास गर्म पानी के साथ लें ...
रात 10 बजे आधा कप जैतून ( Olive ) या तिल (sesame) का तेल - आधा कप ताजा नीम्बू रस में अच्छे से मिला कर पीयें .....
सुबह स्टूल में आपको हरे रंग के पत्थर मिलेंगे ...
नोट: पालक, टमाटर, चुकंदर, भिंडी का सेवन न करें।


Published On : 24-Jun-2015

  कमर का दर्द

 कमर दर्द बहुत ही आम समस्या हो गई है !
आश्चर्यजनक तथ्य तो यह है कि अब यह समस्या बच्चों से लेकर बूढ़ों तक सभी को अपनी चपेट में ले रही है !
यह समस्या सामान्य और तीव्र दो रूपों में प्राय: देखी जाती है !
यद्यपि सामान्य कमर दर्द कम होता है और रोगी चल - फिर लेता है !
लेकिन फिर भी कई बार यह दर्द बड़ी समस्या का कारण बन सकता है ! 
कमरदर्द का योगिक उपाय !
आप रोजाना कुछ देर मार्जारी आसन करें आपको इस दर्द से जल्द ही मुक्ति मिल जाएगी !
* मार्जारी आसन विधि :- दोनों घुटनों और दोनों हाथों को जमीन पर रखकर झुककर खड़े हो जाएं !
हाथों को जमीन पर बिलकुल सीधा रखें !
ध्यान रखें कि हाथ कंधों की सीध में हों और हथेली फर्श पर इस तरह टिकाएं कि उंगलियां आगे की तरफ फैली हों !
हाथों को घुटनों की सीध में रखें - बांहें और जांघें भी फर्श से एक सीध में होनी चाहिए !
घुटनों को एक - दूसरे से सटाकर भी रख सकते हैं और चाहें तो थोड़ी दूर भी ! 
यह इस आसन की आरंभिक अवस्था है !
इसके बाद रीढ़ को ऊपर की तरफ खींचते हुए सांस अंदर खींचें !
इसे इस स्थिति तक लाएं कि पीठ अवतल अवस्था में पूरी तरह ऊपर खिंची हुई दिखे !
सांस अंदर की ओर तब तक खींचते रहें जब तक कि पेट हवा से पूरी तरह भर न जाए !
इस दौरान सिर का ऊपर उठाए रखें ! 
सांस को तीन सेकंड तक भीतर रोक कर रखें !
इसके बाद पीठ को बीच से ऊपर उठाकर सिर नीचे झुकाएं - अपनी दृष्टि नाभि पर टिकाएं !
सांस धीरे - धीरे बाहर छोड़ें - पेट को पूरी तरह खाली कर दें और नितंबों को भी भीतर की तरफ खींचें !
सांस को फिर तीन सेकंड तक रोकें और सामान्य दशा में वापस आ जाएं !
इस तरह इस आसन का एक चक्र पूरा होता है !
लाभ - यह आसन कमरदर्द और पीठदर्द में बहुत ही लाभदायक है !
आजमा के जरूर देखें .....

Published On : 24-Jun-2015

 tips

ऐसी जानकारी जो शायद आपने पहले कभी नही पढ़ी होगी ||:-
1. दही को जल्दी और अच्छी जमाने के
लिए रात को जमाते वक्त दूध में
हरी मिर्च का डंठल तोड़ कर डाल दे !
दही जबरदस्त जमेगी||
2. अगर सब्जी में नमक
ज्यादा हो गया हो तो आटे को गूंथ
कर उसके छोटे - छोटे पेड़े ( लोइयां )
बना कर डाल दे नमक कम हो जायेगा||
3. प्याज को काट कर बल्ब या ट्यूब
लाईट के साथ बाँधने से मच्छर व
छिपकिली और मोर का पंख घर में
कहीं भी लगाने से केवल
छिपकिली नही आती यह आजमाए हुए
हैं.||
4. यदि फ्रिज में कोई भी खुशबू या बदबू
आती है तो आधा कटा हुआ निम्बू रखने
से ख़त्म हो जायेगी एक हज़ार बार
अजमाया हुआ है जी.||
5. चावल के उबलने के समय २ बूँद निम्बू के
रस की डाल दे चावल खिल जायेंगे और
चिपकेंगे नही||
6. चीनी के डब्बे में तीन या चार लौंग
डालने से चींटी नहीं आती ||
7. बरसातों के दिनों में अक्सर नमक
सूखा नही रह पाता वह सिल
( गीला गीला सा) जाता है आप नमक
की डिबिया में ४-५ चावल के दाने
डाल दें बहुत कम उसमे सीलापन आता है
तब.||
8. मेथी की कड़वाहट हटाने के लिये
थोड़ा सा नमक डालकर उसे थोड़ी देर
के लिये अलग रख दें||
9. आटा गूंधते समय पानी के साथ
थोड़ा सा दूध मिलाये। इससे
रोटी और पराठे का स्वाद बदल जाएगा ||

Published On : 24-Jun-2015

 fertility

गर आप माँ बाप बनना चाहते हैं, या आप किन्ही कारणों से शारीरिक कमज़ोरी का सामना कर रहे हैं तो ये चीजे अपने भोजन में शामिल करे। इनसे पुरुषो के वीर्य और औरतो के अंडकोष बनने में बहुत मदद मिलती हैं।

1. अनार में विटामिन सी, विटामिन के, फोलिक एसिड व जरूरी मिनिरल्स हैं जो फर्टिलिटी बढ़ाने के मामले में फायदेमंद हैं।
2. चुकंदर के सेवन से शरीर में रक्त संचार अच्छी तरह होता है। आईवीएफ करा रही महिला अगर असका सेवन करें तो गर्भधारण की संभावना बढ़ती है क्योंकि इससे इंब्रायो इंप्लांटेशन आसानी से होता है।
3. एवोकैडो नामक नाशपाति के सेवन से गर्भाशय की लाइनिंग जिसे इंडोमेट्रियल थिकनेस कहते हैं, मोटी होती है। महिलाओं में गर्भधारण के लिए यह जरूरी है। इसमें विटामिन ई और फोलेट अच्छी मात्रा में हैं।
4. अलसी को अपने भोजन में स्थान दे। इसको खाने वाले बूढ़े लोग भी सहज ही कह देते हैं जवानी ज़िंदाबाद। जो लोग ओमेगा ३ के लिए मछली और ना जाने क्या क्या खा जाते हैं उनको बता दे के ये वह लोग खाते हैं जिनके देश में ओमेगा ३ के लिए कोई प्राकृतिक साधन नहीं हैं। और हमारे डॉक्टरों ने जो पढाई पढ़ी हैं वह विदेशी हैं, इसलिए वह अंडे और मांस खाने की सलाह अक्सर देते हैं। 
5. अखरोट में ओमेगा 3 फैटी एसिड और विटामिन ई अच्छी मात्रा में है जो वीर्य बड़ाने के लिहाज से फायदेमंद हैं।
6. शतावरी या एस्परागस साग एंटीऑक्सीडेंट, विटामिन सी और फोलेट से भरपूर है जो प्रजनन क्षमता बढ़ाने में फायदेमंद है।


Published On : 20-Jun-2015

 liver

🌞जिगर के जिगरी दोस्त🌞
जिगर यानि लिवर शरीर का दिल की तरह महत्वपूर्ण अंग है. यह भोजन में प्राप्त एमिनो एसिड्स को प्रोटीन और एंजाइम्स में बदलता है. विटमिन्स और आयरन का भंडारण भी करता है. चुकंदर, पालक, टमाटर और गाजर में मौजूद प्रोटीन लिवर के शुद्धिकरण में मदद करते हैं. अंगूर और दाख अर्थाथ किशमिश लिवर की नेचरल क्लिनिंग करते हैं. नींबू वंशीय फल लिवर को सक्रिय रखते हैं. बंदगोभी माने पत्तागोभी से लिवर को एंजाइम्स मिलते हैं. हल्दी लिवर की शुद्धिकरण में मदद करती है. अखरोट और अलसी में पाया जाने वाला ओमेगा३ भी लिवर का जिगरी दोस्त है. लहसुन, ग्रीनटी भी लिवर के लिए फायदेमंद है. अगर आप इन्हें अपने भोजन का नियमित अंग बनाते हैं, तो आपका जिगर सदैव आपकी सेवा में तत्पर रहेगा.
Published On : 20-Jun-2015

 liver

लीवर की परेशानी है तो जरुर पढ़े व् शेयर भी करे

आज कल चंहु और लीवर के मरीज हैं, किसी को पीलिया हैं, किसी का लीवर सूजा हुआ हैं, किसी का फैटी हैं, और डॉक्टर बस नियमित दवाओ पर चला देते हैं मरीज को, मगर आराम किसी को मुश्किल से ही आते देखा हैं। 
कृपया ये पोस्ट शेयर ज़रूर करे।

लीवर हमारे शरीर का सबसे मुख्‍य अंग है, यदि आपका लीवर ठीक प्रकार से कार्य नहीं कर पा रहा है तो समझिये कि खतरे की घंटी बज चुकी है। लीवर की खराबी के लक्षणों को अनदेखा करना बड़ा ही मुश्‍किल है और फिर भी हम उसे जाने अंजाने अनदेखा कर ही देते हैं।
* लीवर की खराबी होने का कारण ज्‍यादा तेल खाना, ज्‍यादा शराब पीना और कई अन्‍य कारणों के बारे में तो हम जानते ही हैं। हालाकि लीवर की खराबी का कारण कई लोग जानते हैं पर लीवर जब खराब होना शुरु होता है तब हमारे शरीर में क्‍या क्‍या बदलाव पैदा होते हैं यानी की लक्षण क्‍या हैं, इसके बारे में कोई नहीं जानता। वे लोग जो सोचते हैं कि वे शराब नहीं पीते तो उनका लीवर कभी खराब नहीं हो सकता तो वे बिल्‍कुल गलत हैं।
* क्‍या आप जानते हैं कि मुंह से गंदी बदबू आना भी लीवर की खराबी हो सकती है। क्‍यों चौंक गए ना?
* हम आपको कुछ परीक्षण बताएंगे जिससे आप पता लगा सकते हैं कि क्‍या आपका लीवर वाकई में खराब है। कोई भी बीमारी कभी भी चेतावनी का संकेत दिये बगैर नहीं आती, इसलिये आप सावधान रहें।
* मुंह से बदबू -यदि लीवर सही से कार्य नही कर रहा है तो आपके मुंह से गंदी बदबू आएगी। ऐसा इसलिये होता है क्‍योकि मुंह में अमोनिया ज्‍याद रिसता है।
* लीवर खराब होने का एक और संकेत है कि स्‍किन क्षतिग्रस्‍त होने लगेगी और उस पर थकान दिखाई पडने लगेगी। आंखों के नीचे की स्‍किन बहुत ही नाजुक होती है जिस पर आपकी हेल्‍थ का असर साफ दिखाई पड़ता है।
* पाचन तंत्र में खराबी यदि आपके लीवर पर वसा जमा हुआ है और या फिर वह बड़ा हो गया है, तो फिर आपको पानी भी नहीं हजम होगा।
* त्‍वचा पर सफेद धब्‍बे यदि आपकी त्‍वचा का रंग उड गया है और उस पर सफेद रंग के धब्‍बे पड़ने लगे हैं तो इसे हम लीवर स्‍पॉट के नाम से बुलाएंगे।
* यदि आपकी पेशाब या मल हर रोज़ गहरे रंग का आने लगे तो लीवर गड़बड़ है। यदि ऐसा केवल एक बार होता है तो यह केवल पानी की कमी की वजह से हो सकता है।
* यदि आपके आंखों का सफेद भाग पीला नजर आने लगे और नाखून पीले दिखने लगे तो आपको जौन्‍डिस हो सकता है। इसका यह मतलब होता है कि आपका लीवर संक्रमित है।
* लीवर एक एंजाइम पैदा करता है जिसका नाम होता है बाइल जो कि स्‍वाद में बहुत खराब लगता है। यदि आपके मुंह में कडुआहर लगे तो इसका मतलब है कि आपके मुंह तब बाइल पहुंच रहा है।
* जब लीवर बड़ा हो जाता है तो पेट में सूजन आ जाती है, जिसको हम अक्‍सर मोटापा समझने की भूल कर बैठते हैं।
* मानव पाचन तंत्र में लीवर एक म‍हत्‍वपूर्ण हिस्‍सा है। विभिन्‍न अंगों के कार्यों जिसमें भोजन चयापचय, ऊर्जा भंडारण, विषाक्त पदार्थों को बाहर निकलना, डिटॉक्सीफिकेशन, प्रतिरक्षा प्रणाली का समर्थन और रसायनों का उत्‍पादन शामिल हैं। लेकिन कई चीजें जैसे वायरस, दवाएं, आनुवांशिक रोग और शराब लिवर को नुकसान पहुंचाने लगती है। लेकिन यहां दिये उपायों को अपनाकर आप अपने लीवर को मजबूत और बीमारियों से दूर रख सकते हैं।
करे ये घरेलू कुछ उपाय :-
===============
* हल्‍दी लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य में सुधार करने के लिए अत्‍यंत उपयोगी होती है। इसमें एंटीसेप्टिक गुण मौजूद होते है और एंटीऑक्सीडेंट के रूप में कार्य करती है। हल्दी की रोगनिरोधन क्षमता हैपेटाइटिस बी व सी का कारण बनने वाले वायरस को बढ़ने से रोकती है। इसलिए हल्‍दी को अपने खाने में शामिल करें या रात को सोने से पहले एक गिलास दूध में थोड़ी सी हल्दी मिलाकर पिएं
* सेब का सिरका, लीवर में मौजूद विषैले पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है। भोजन से पहले सेब के सिरके को पीने से शरीर की चर्बी घटती है। सेब के सिरके को आप कई तरीके से इस्‍तेमाल कर सकते हैं- एक गिलास पानी में एक चम्मच सेब का सिरका मिलाएं, या इस मिश्रण में एक चम्मच शहद मिलाएं। इस म‍िश्रण को दिन में दो से तीन बार लें।
* आंवला विटामिन सी के सबसे संपन्न स्रोतों में से एक है और इसका सेवन लीवर की कार्यशीलता को बनाये रखने में मदद करता है। अध्ययनों ने साबित किया है कि आंवला में लीवर को सुरक्षित रखने वाले सभी तत्व मौजूद हैं। लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य के लिए आपको दिन में 4-5 कच्चे आंवले खाने चाहिए.
* पपीता लीवर की बीमारियों के लिए सबसे सुरक्षित प्राकृतिक उपचार में से एक है, विशेष रूप से लीवर सिरोसिस के लिए। हर रोज दो चम्मच पपीता के रस में आधा चम्मच नींबू का रस मिलाकर पिएं। इस बीमारी से पूरी तरह निजात पाने के लिए इस मिश्रण का सेवन तीन से चार सप्ताहों के लिए करें.
* सिंहपर्णी जड़ की चाय लीवर के स्‍वास्‍थ्‍य को बढ़ावा देने वाले उपचारों में से एक है। अधिक लाभ पाने के लिए इस चाय को दिन में दो बार पिएं। आप चाहें तो जड़ को पानी में उबाल कर, पानी को छान कर पी सकते हैं। सिंहपर्णी की जड़ का पाउडर बड़ी आसानी से मिल जाएगा।
* लीवर की बीमारियों के इलाज के लिए मुलेठी का इस्‍तेमाल कई आयुर्वेदिक औषधियों में किया जाता है। इसके इस्‍तेमाल के लिए मुलेठी की जड़ का पाउडर बनाकर इसे उबलते पानी में डालें। फिर ठंड़ा होने पर छान लें। इस चाय रुपी पानी को दिन में एक या दो बार पिएं।
* फीटकोंस्टीटूएंट्स की उपस्थिति के कारण, अलसी के बीज हार्मोंन को ब्‍लड में घूमने से रोकता है और लीवर के तनाव को कम करता है। टोस्‍ट पर, सलाद में या अनाज के साथ अलसी के बीज को पीसकर इस्‍तेमाल करने से लिवर के रोगों को दूर रखने में मदद करता है
* एवोकैडो और अखरोट को अपने आहार में शामिल कर आप लीवर की बीमारियों के आक्रमण से बच सकते हैं। एवोकैडो और अखरोट में मौजूद ग्लुटथायन, लिवर में जमा विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालकर इसकी सफाई करता है।
* पालक और गाजर का रस का मिश्रण लीवर सिरोसिस के लिए काफी लाभदायक घरेलू उपाय है। पालक का रस और गाजर के रस को बराबर भाग में मिलाकर पिएं। लीवर की मरम्मत के लिए इस प्राकृतिक रस को रोजाना कम से कम एक बार जरूर पिएं
* सेब और पत्तेदार सब्जियों में मौजूद पेक्टिन पाचन तंत्र में उपस्थित विषाक्त पदार्थों को बाहर निकाल कर लीवर की रक्षा करता है। इसके अलावा, हरी सब्जियां पित्त के प्रवाह को बढ़ाती हैं।
* एक पौधा और है जो अपने आप उग आता है , जिसकी पत्तियां आंवले जैसी होती है. इन्ही पत्तियों के नीचे की ओर छोटे छोटे फुल आते है जो बाद में छोटे छोटे आंवलों में बदल जाते है . इसे भुई आंवला कहते है. इस पौधे को भूमि आंवला या भू- धात्री भी कहा जाता है .यह पौधा लीवर के लिए बहुत उपयोगी है.इसका सम्पूर्ण भाग , जड़ समेत इस्तेमाल किया जा सकता है.तथा कई बाज़ीगर भुई आंवला के पत्ते चबाकर लोहे के ब्लेड तक को चबा जाते हैं .
ये यकृत ( लीवर ) की यह सबसे अधिक प्रमाणिक औषधि है . लीवर बढ़ गया है या या उसमे सूजन है तो यह पौधा उसे बिलकुल ठीक कर देगा . बिलीरुबिन बढ़ गया है , पीलिया हो गया है तो इसके पूरे पढ़े को जड़ों समेत उखाडकर , उसका काढ़ा सुबह शाम लें . सूखे हुए पंचांग का 3 ग्राम का काढ़ा सवेरे शाम लेने से बढ़ा हुआ बाईलीरुबिन ठीक होगा और पीलिया की बीमारी से मुक्ति मिलेगी


Published On : 20-Jun-2015
 

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